Saturday, March 19, 2011

हंसो मत बावरी, लोग सुन लेंगे


तुमने मुझे अपने रंग में रंगा, शुक्रिया। मेरे लिए होली के मायने रंगना है। कपड़ों से नहीं, मन से। मन न रंगाय, रंगाय जोगी कपड़ा। अब जो रंग चढ़ गया है, उसके ऊपर कोई दूसरा रंग नहीं चढ़ेगा।

रंगों के इस मौसम में तुम बहुत याद आती हो। याद होगा पिछली बार भी मैंने तुम्हे एक चिट्ठी लिखी थी। उसमें पलाश के फूलों का जिक्र था। उसमें तुम्हारे बावरेपन का जिक्र था। वह अमलताश भी था, जिसके सहारे मैं तुम्हे छू सका था। गेहूं के खेत सोने से दमकने लगे थे। उनके बीच एक पलाश खड़ा चहक रहा था। मैंने जाकर उसे हौले से छुआ था। मैंने कुछ फूल मांगे थे उस पेड़ से तुम्हारे लिए। और लेकर आया भी लेकिन दे न सका।

तभी से रोज मेरे सपनों में पलाश आता है। तुम खिलखिलाती हो। उस पेड़ के नीचे मैं तुम्हारे लिए फूल इकट्ठे कर रहा हूं। मैं तुम्हे रोकता हूं..न प्रिया, न, मैंने तुम्हारी हंसी को फूलों के रंगों में डुबोकर छिपाकर रखा है। तुम हंसती हो तो ये दुनियादारी जाग जाती है। हंसो मत बावरी, लोग सुन लेंगे। प्रेम छिपाना भी तो है। मैं चाहता हूं कि मैं तुम्हे मौन रहकर प्यार करूं।

बावरी, रेत था मैं। तुम खिलखिलाई एक दिन। तुम्हारे तलवों की गुदगुदाहट मैंने महसूस की। उस दिन मैंने अपनी यादों का उदास बक्सा खोला और उसमें लत्ते बन चुके कुछ टुकड़ों को सुई धागे से सिया। ये मेरे प्यार का बिछौना था। मुझ पर चलते हुए पैर जलने लगते थे तुम्हारे। मैंने तुमसे कहा था, ये राह कठिन है। खुसरो भी कह गए हैं। तुमने कह दिया था- मुझे डूबना है इसी दरिया में और पार उतरना है। पगली, हम पार कहां उतरे हैं और डूबते जा रहे हैं...और।


बावरी

पलाश यूं ही फूलेंगे
चिड़िया यूं ही चहचहाएंगी

जब भी ऋतु राग फूटेगा
तो जिद करोगी तुम कि
मुझे तुम्हारे साथ झूला झूलना है
मुझे आम केपत्ते की फिरकी बनाकर दो

फिर करोगी जिद कि
फूल से अलग कर देना कांटे
मुझे सोना है तुम्हारे साथ

कैसी बावरी लड़की हो तुम कि
हंसोगी तो खूब हंसोगी
मैं सहम जाऊंगा
लोग पूछेंगे तुमसे हंसने की वजह
फिर तुम उदास हो जाओगी
मैं ले आऊंगा तुम्हारे लिए
कुछ रंग चटख
कुछ सपने बंजारे
एक खुशबू नर्म चिड़िया के बच्चे जैसी

मैं चाहता हूं प्रिया कि
तुम प्यार छिपाना भी सीखो
खुशियां छिपाना भी सीखो
और हंसो तो सिर्फ मेरे सीने में...।

रंग और प्रेम

आज रंग है
तुम फिर पूछोगी मुझसे
कि क्या होता है प्रेम
अब मैं क्या बताऊं


उस रंग का नाम

लाल, नीले, पीले
जाने कितने रंगों का जिक्र छिड़ा
लेकिन इनमें वह रंग नहीं मिला
जिसमें मैं रंगा

तुम्हे मालूम हैं क्या
उस रंग का नाम

2 comments:

Pawan said...

man na rangay..pal-pal tarsay.

aviabhi said...

jo doobna hai to itne sukoon se doobo.ke aaspaas ki lahron ko bhi pata naa chale........likhte raho; kuchh suraag to milen mitra.mohak srijan ;;;; jaari rakho.